किडनी स्टोन एक आम समस्या है हमें से किसी को भी यह लाइफ टाइम में 5 से 10% रती में हो सकती है इससे जडेु कई सवाल होते हैं, लेकिन समय के अभाव में इसका जवाब डॉक्टर से क्लीनिक में मिलना मुश्किल हो जाता है

यहां पर हमने किडनी स्टोने से जडेु कुछ सवालों के जवाब देने की कोशिश की है|

किडनी स्टोन क्या है?
किडनी स्टोन छोटे-छोटे क्रिस्टल या उससे बने हुए बडे stone हैं जो कि किडनी, यरेटर या पेशाब की थैली (urinary bladder) में बन जाते. यह हैं स्टोन दर्द, इन्फेक्शन किडनी खराब कर सकते है स्टोन बहुत छोटे होते हैं जैसे कि दो mm या बहुत बडे होते हैं जैसे stag horn स्टोन जो कि पूरी किडनी में हो सकते है|

क्या मझेु किडनी स्टोन है?
ऐसे पेशेंट में पेट के पिछले हिस्से (flank) पर बहुत तेज दर्द होता है. आमतौर पर यह दर्द इतना तेज होता है कि पेशेंट जिनको पहले स्टोन नही हुआ है, वह बहुत डर जाता है. यह पेन लेबर pain या हार्ट अटैक के pain से भी ज्यादा तेज हो सकता है ऐसे में अस्पताल की इमरजेंसी में जाकर pain killer इंजेक्शन लगवाने की जरूरत पडती है. सोनोग्राफी, एक्स-रे, या कभी कभी सीटी स्कैन से किडनी स्टोन की डायग्नोसिस कनफर्म की जाती है|

जब स्टोन बाहर निकलता है या निकल रहा होता है तो उसके क्या लक्षण होते है?
ऐसे स्टोन जो किडनी में होते, वह ऊपरी पेट के हिस्से में या पेट के पिछले हिस्से में (Flank) बहुत तेज दर्द करते हैं. छोटा स्टोन जब किडनी से यरेटरू में आता है, तो pain कि पोजीशन चेंज होती और है नीचे की तरफ खिसकने लगती है यरेटरू के निचले हिस्से में आए हुए स्टोन ग्रॉइन ( groin ) या कफर अंडकोष (testes) में pain कर सकते हैं और जब यह स्टोन urinary bladder के नजदीक पहुंच जाता है, तो

पेशाब में तिकलीफ जैसे कि जोर से पेशाब लगना और पेशाब में खून आना हो सकता है, जब स्टोन यरेटरू से बाहर आकार पेशाब की थैली में आ जाता है तों यह पेशाब की नली अथवा यरेथ्रा को ब्लॉक कर सकता है ऐसे में पेशाब रुक सकतीं है छोटा स्टोन अपने आप पास हो जाता है इससे अचानक से pain खत्म हो जाता है और पेशाब भी अच्छे से खुलकर आने लगती है अगर बडा स्टोन है, 9_10 एमएम का तो पेशाब बंद भी हो सकती है और पेशाब में नली डालने की जरूरत पड. सकती है ऐसे में फिर इमरजेंसी में स्टोन निकालना पड़ता है दर्द के अलावा किडनी स्टोन में और भी लक्षण हो सकते है जैसे पेशाब में खून आ सकता है उल्टी या nausea (जी ममचलाना)|

क्या सभी प्रकार के किडनी स्टोन से दर्द होता है? अथवा क्या ऐसा भी हो सकता है कि किडनी स्टोन हो और दर्द ना हो?
ऐसा सच नही है कि सारे किडनी स्टोन में pain होता है. आमतौर पर जब किडनी के स्टोन, किडनी को या यरेटरू को ब्लॉक हैं, तब किडनी स्टोन का दर्द होता है अगर स्टोन किडनी में एक साइड में या calyx में पडा होता है तो usually pain नही होता है यही कारण है कि केलिक्स में पडा स्टोन धीरे धीरे बडा होकर stag horn स्टोन बन जाता है.

किडनी स्टोंस किन कारणों से बनता है?
100 में से 10 लोगों को जीवन भर में कभी न कभी किडनी स्टोन बनता ही है. किडनी स्टोन बनने के बहुत सारे कारण होते हैं जिनमें से कुछ आपके कंट्रोल में है कुछ नहीं | किडनी स्टोन बनने के कुछ कॉमन कारण इस प्रकार है:

लिंग (Gender) – यह देखा गया है कि पुरुषों में किडनी स्टोन बनने की संभावना महिलाओं की तुलना में 2 से 3 गुना ज्यादा होती है

Age – किडनी स्टोन के सबसे ज्यादा cases 20 से 40 साल की उम्र के बीच देखे जाते छोटे हैं बच्चों में किडनी स्टोन बनते हैं लेकिन यह कम होते हैं

मौसम – यह देखा गया है कि किडनी स्टोंस गर्मी के महीनों में ज्यादा बनते हैं ऐसा डिहाइड्रेजन की कमी की वजह से होता, है क्योंकि कैल्शियम का यूरिन में कन्संट्रेसन बढ़ जाता है और गर्मी के महीने में विटामिन डी का प्रोडक्सन भी बहुत ज्यादा होता है इससे खनू में भी कैल्शियम की मात्रा बढ़ जाती है

Occupation – यह देखा गया है कि जो लोगहॉट क्लाइमेट में काम करते हैं या जिनके कम में डिहाइड्रेशन ज्यादा होता है उनमें स्टोन ज्यादा बनता है

Body weight – ऐसे लोग जिनके शरीर का वजन ज्यादा है या बॉडी मास इंडेक्स ज्यादा, उनमें स्टोन बनने के risk ज्यादा होते हैं

आनुवांशिक कारण – ऐसे लोग जिनकी फैमिली में किडनी स्टोंस के कई सारे मरीज है उनमें स्टोन बनने के चांस नार्मल पब्लिक के मुक़ाबले दो से तीन गुना होती है इसके अलावा कुछ ऐसी बीमारियाँ होती हैं जैसे medullary कि sponge किडनी व renal tubular acidosis, जिनमें बच्चों में किडनी स्टोन बनने के चांस ज्यादा होते हैं.

किडनी में लंबे समय तक इन्फेक्शन बने रहने से (जिन्हे हम क्रानिक यू टी आई कहते है) इन्फेक्शन वाले स्टोन बन सकते है जैसे struvite स्टोन

ऐसे लोग जिनमें यूरिक एसिड की मात्रा खनू में ज्यादा होती है (अर्थात हाइपरूरीसीमिया) उसमें किडनी स्टोन बनने के चांस ज्यादा होते हैं

ऐसे पेशेंट जिनमें पैरा थायराइड ग्रंथि से पैरा थायराइड secretion ज्यादा होता है, उनमें किडनी स्टोन बनने के चांस ज्यादा होते हैं इस बीमारी को hyperparathyroidism कहते हैं

क्या किडनी स्टोन को दवाइयों के द्वारा घोलकर निकाला सकता है या छोटा किया जा सकता है?
किडनी स्टोन के पेशेंट आमतौर पर डॉक्टर से यह सवाल जरूर पुछते हैं की क्या इसे किसी दवाइयों से घोला जा सकता है ? करीब 80 से 90% किडनी स्टोन कैल्शियम ऑक्सलेट या कैल्शियमिै फास्फेट से बने होते है, जिन्हें किसी प्रकार कि दवाइयों के द्वारा नही घोला जा सकता है. ऐसे पेशेंट जिनमें pure यूरिक एसिड स्टोन है (जो कि सिर्फ टोटल किडनी स्टोन के केस क 5 परसेंट होता है) दवाइयों के द्वारा जैसे कि पोटेशियम साइट्रेट सिरप(यूरिनरी अल्काइजर)के द्वारा खोला जा सकता है जिस से छोटा होकर वह निकाल सकते है और अगर दवाइया चालू रखें तो इन्हें devolop होने से रोक जा सकता है

ऐसे पेशेंट जिन्हें Cystine स्टोन है, पोटेशियम साइट्रेट सिरप द्वारा और ज्यादा मात्रा में पानी लेकर छोटा किया जा सकता है. Cystine स्टोन लिए डी पेनिसिलेमाइन नाम की दवाइया भी आती है जिसके द्वारा स्टोन को घोलने की जा सकती है

स्टोन की बनने कि प्रोसेस क्या है?
बचपन में हमने केमिस्ट्री के प्रयोगशाला में देखा होगा की जब हम पानी में नमक मिलते जाते है तो वह घुलता जाता है एक निश्चित मात्रा में घुलने के बाद dissolve होना बंद हो जाता है और वह पानी के नीचे जमने लगता है जिसे की हम प्रेसिपेटेसन कहते है ऐसा ही प्रोसेस हमारे यूरिन में भी होता है कैल्शियम आक्सलेट एक कामन स्टोन है जो कि किडनी में बनता है यूरिन में कुछ पदार्थ होते हैं जिसे हम स्टोन inhibitor बोलते हैं यह कैल्शियम ऑक्सलेट को बनने से रोकता है इसके अलावा कुछ ऐसे भी पदार्थ होते हैं जिन्हें हम प्रमोटर्स कहते हैं, जो स्टोन बनाने में मदद करते है. जब यूरिन में कैल्शियम और oxalate की मात्रा एक निश्चित सूचकांक से ज्यादा हो जाती है और स्टोन inhibiter सब्सटेंस भी कम होते हैं तो कैल्शियम ऑक्सलेट के क्रिस्टल्स बनने लगते. यह हैं क्रिस्टल्स धीरे-धीरे आपस में जोड़कर एक छोटा सा स्टोन बनाते हैं यह किस्टल या स्टोन किडनी की अंदरूनी सतह पर चिपक कर एक जगह प्राप्त कर लेता है जिसके बाद धीरे-धीरे यह स्टोन साइज में बढ़ता है अगर समय रहते यह अपनी जगह नही छोडता है या स्टोन नहीं निकलता है तो इसका साइज बढ़ता जाता है प्रारम्भिक स्टोन जो किडनी की अंदुरुनी सतह या papilla में चिपके होते, उन्हें रैंडल plaque बोलते हैं इस प्रकार से स्टोन की किस्टल्स बनना, स्टोन के बनाने वाले तत्वों जैसे कैल्शियम, अक्सलेट, फास्फेट, यूरिक एसिड इत्यादि एवं स्टोन inhibitor और promoters के बैलेंस शरीर में पानी की मात्रा यूरिन के कंसंट्रेशन पर निर्भर करता है.

अगर एक बार पथरी बन चुकी है तो क्या उसे दोबारा बनने से रोका जा सकता है
एक बार पथरी बनने के बाद 50% चांस होता है कि 5 साल के अंदर दोबारा पथरी बने डाइट में कुछ चेंज करके और specific मेडिकल ट्रीटमेंट लेकर किडनी स्टोन बनने के चांस को कम किया जा सकता है हालांकि डाइट में चेंजेज इस बात की गारांटी नही देते कि दोबारा स्टोन नहीं बनेगा बनेगा लेकिन स्टोन बनने के चांस को कम कर सकते है|

किडनी स्टोन के ट्रीटमेंट के लिए क्या क्या ऑप्शन है?
छोटे स्टोंसजो कि गुर्दे की नली अथवा यरेटर में है, दवाइयों की मदद से पास किए जा सकते है बडे स्टोन या ऐसे स्टोन जो फंसे हुए हैं और नहीं निकल रहे है, उन्हें दूरबीन के ऑपरेशन के द्वारा जैसे कि यरेटेरोस्कापी, पीसीएनएल, मिनी-पीसीएनएल या फ्लेक्सिबल यरेटेरोस्कापी द्वारा निकाला जा सकता है किडनी के छोटे स्टोन या गुर्दे के ऊपरी नली (upper ureter) के स्टोन लिथोट्रिप्सी द्वारा निकले जा सकते है

किडनी स्टोन में ऐसे कौन से लक्षण होते हैं जिसमें डॉक्टर को तुरंत आकस्मिक रूप से दिखाना जरूरी है?
अगर आपको किडनी स्टोन है तो निम्नलिखित लक्षण निर्धारित करते है कि आपकों तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए|
• तेज बुखार का होना (101 डिग्री फारेनहाइट से ज्यादा)
• बहुत ज्यादा पेशाब में जलन होना, गंदा पेशाब आना या पेशाब में पस आना
• लगातार उल्टियाँ होना
• लगातार दर्द होना जो कि दवाइयों से भी ठीक ना हो
• अगर आप डायबटीज या किडनी की बीमारी से पीडित हो तो तुरंत पीडडत हो तो तुरंत यूरोलोजिस्ट को संपर्क करना चाहिए नही तो पूरे शरीर में इन्फेक्शन अथवा sepsis हो सकता है या किडनी का फंक्शन खराब हो सकता है

किडनी स्टोन को बनने में कितना टाइम लगता है?
रिसर्च में यह पाया गया है कि किसी भी किडनी स्टोन को बनने में कम से कम 3 महीने तो लगते हैं |

अगर मझेु किडनी स्टोन हो चुका है तो दूसरा किडनी स्टोन बनाने का कितना रिस्क होता है?
स्टोन निकालने के बाद अगले 5 साल में स्टोन दोबारा बढ़ने का रिस्क 40 से 50% होता है यह रिस्क कुछ डाइट में चेंज करके कम किया जा सकता है|

यह कैसे डिसाइड होता है की मेरे यूरेटर की पथरी दवाइयों से निकल जाएगी या फिर ऑपरेशन करना पडेगा?
Ureter अथवा गुर्दे की नली एक पतली सी ट्यूब होती है, जो गुर्दे या किडनी से चालू होकर पेशाब की थैली तक जाती है इसकी लंबाई करीब 25 सेंटीमीटर की होती है यरेटर का स्टोन निकलेगा की नहीं निकलेगा यह आमतौर पर तीन चीजों पर निर्भर करता है
1. स्टोन का साइज
2. लोकेशन
3. कितने दिनों से दर्द है
5mm से छोटे स्टोन जो कि lower ureter में हैं दवाइयों के द्वारा 10 से 15 दिन में निकाल जातें है जैसे-जैसे स्टोन का साइज बढ़ता है या फिर लोकेशन किडनी के पास होती है तो फिर निकलने में समय लगता है 5mm से छोटे स्टोन चाहे किसी भी लोकेशन पर हो आमतौर पर दवाइयों द्वारा 10 से 15 दिन में निकाल जाते है 5 से 8 mm के स्टोन 50 से 60%cases में 15 दिन में निकाल जाते हैं 8 mm से बडे साइज के स्टोन 20 से 30% cases में ननिल जाते हैं 10 mm या उससे बडे स्टोन निकलना मुश्किल होता है बडे स्टोन के लिए सर्जिकल intervention की जरूरत पडती है.

डीजे (double -J) स्टंट क्या होता है और कब डाला जाता है?
यह बहुत पतली सी ट्यबू होती है जो कि 25 सेंटीमीटर के आसपास लंबी होती है यह ऑपरेशन के बाद किडनी में डाली जाती है दोनों सिरे या एंड j के शेप में होता है इसलिए इसे double-j stent कहते हैं इसलिए end किडनी में और एक पेशाब की थैली में होता है यह बाहर से नहीं दिखाई देती है यह किडनी से पैशाब की थैली में यूरिन को drain करने के लिए होती है और ऑपरेशन के बाद यरेटर या किडनी को heal करने में मदद करती है डबल J stent को किडनी स्टोन या यूरेटर की स्टोन के ऑपरेशन के दौरान डाला जाता है और दो से तीन हफ्तों बाद निकाल दिया जाता है

डबल जे स्टंट कैसे निकाला जाता है ?
Double J Stent को सिस्टोस्कापी के द्वारा निकाला जाता है यह प्रोसीजर ओपीडी बेसिस पर होता है इसमें पेशेंट के यूरेथ्रा में लोकल एनेस्थेटिक जेली डालने के बाद एक पतली दूरबीन अथवा cystoscope को डाला जाता है और पेशाब की थैली तक पहुँचने के बाद forceps से स्टंट का lower end पकड़कर निकाल दिया जाता है. यह प्रक्रिया कुछ ही मिनटों के होती है Stent निकालने के 1 घंटे बाद यूरिन पास होने पर पेशेंट को घर भेज दिया जाता है स्टैंड निकालने के बाद पेशाब में जलन खत्म हो जाती हैं |

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